विद्या भंडारी के दो मुक्तक
मुक्तक- एक रूठती धरा को मनाने को, आओ कुछ मनुहार करें, धरती को फूलों से भर दें,आओ पश्चाताप करें। धरती पर है सब कुछ सुंदर, सुंदरता का मोल करें, मानवता को जागृत करके, अपनी धरा गुलजार करें । मुक्तक- दो त्राहि-त्राहि की इस धरती को, नये सूर्य की किरण मिले, नैतिकता की फसलें बोएं, साहस […]
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