बनी रहती है कठपुतली
उसका सब कुछ है
उधार का।।
कहाँ अपने होते हैं
पाली हुई चिड़िया के पंख।
कहाँ होती है उसकी
अपनी कोई सोच।
विद्या भंडारी
कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
(यह इनकी मौलिक रचना है)
बनी रहती है कठपुतली
उसका सब कुछ है
उधार का।।
कहाँ अपने होते हैं
पाली हुई चिड़िया के पंख।
कहाँ होती है उसकी
अपनी कोई सोच।
विद्या भंडारी
कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
(यह इनकी मौलिक रचना है)