मजदूर

Colours of Life

मजदूर

लोहे सी किस्मत पर
मेहनत के हथौड़े पिटता मजदूर
ईटों को सिर पर ढोता मजदूर
बालू और सीमेंट की बोरियों को
पीठ पर लाद कर भागता मज़दूर
फावड़े और छिन्नियो से अपनी
किस्मत को कुरेदता मजदूर
आंखों में सुखद भविष्य की
आशा लिए कितना मजबूर
सुबह से शाम तक थकता चूर चूर
मेहनत के हथौड़े पिटता मजदूर ……..
भूखे पेट चंद पैसों की आस में
अपनो से हो जाता है कितनी दूर
रातों में थकान से बेखबर
पथरीले बिस्तरों पर सोता मजदूर
अपने सर पर कितने कारखानों का
भार लिए हर दिन जागता मज़दूर
फैक्ट्रियों, मकानों, इमारतों को
एक एक कर जोड़ता मज़दूर
फिर भी  कभी नहीं घबराता
परेशानियों को देखता है घूर
कितना आशावान मगर
कितना मजबूर
दिन भर धूप में तपता मज़दूर

2 thoughts on “मजदूर

  1. बहुत सुंदर, हृदय को स्पर्श करने वाली कविता।👍🙏💐

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *