संस्कार बनाम सोशल संस्कार

मेरी इस लेख का शीर्षक पढ़कर कुछ लोग असमंजस में होंगे या इसे मजाक में टाल सकते हैं लेकिन यह शीर्षक मैंने क्यों दिया, इसके लिए मेरे अपने तर्क हैं, हो सकता है इससे आप सहमत हो या असहमत भी हो सकते हैं क्योंकि मुझे यह विषय चिंताजनक लगा। अतः मैंने इसे अपनी लेखनी के […]

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नारी

दृढ़ संकल्पित में नारी हूँ, अपने अधिकारों की अधिकारी हूँ। प्रखर प्रगति की आस जगाए, धैर्यवान जग उपकारी हूँ।   नील गगन में उड़ चलूँ मैं, पंख पसार पंछी बन प्यारी। आँखों में नव स्वप्न सजाकर, धवल छवि रख जीवन सारी।   मैं सारी सृष्टि में सबसे प्यारा, सबसे कोमल हूँ। कुदृष्टि के नाश हेतु […]

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महाशिवरात्रि

पर्व सुहावन आज, घड़ी शुभ दिन है आया। प्रकट हुए शिवनाथ, रूप प्रभु सबको भाया।। झूम उठे चहुँ लोक, देव सब है हर्षाए। मंगल बेला देख, सुमन नभ से बरसाए।।   सजे देवालय द्वार, दीप से हो उजियारा। बजे झाँझ करताल, ध्वनित शिव मंदिर सारा ।। गूंज रहा प्रभु नाम, शिवम का कर जयकारा। देव […]

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प्रेम

पता नहीं किसने कह दिया घुटनों के बल बैठकर गुलाब देने को प्रेम कहते हैं! आज फलां डे कल फलां डे! सचमुच का प्रेम तो वही कि जहाँ बातें ही ख़त्म न हों, वो जिससे बातें करते आप कभी न थकें, और कभी शब्द एक दूसरे से गुज़रते हुए आँखों में आकर तिरोहित हो जाएँ […]

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प्रेम तपस्या

प्रेम सधे सुर प्रीतम तेरे, कर आराधन साधा तुमने । प्रेम तपस्या मुश्किल सब से , जीती है हर बाधा तुमने।। नाम मिटाना मैं का पड़ता, पल-पल साथ निभाया तुमने। अहम छोड़ मैं-मैं का तुम ने, मैं-तू एक बनाया तुमने।। कोरा कागज हिय का आंगन, चित्र प्रेम का खींचा तुमने । मुस्कानों के मृदु झरने […]

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अवध को लौटें हैं श्री राम….

अवध को लौटें हैं श्री राम…. अवध को लौटें हैं श्री राम, संग में सिया- लखन गुण धाम। अवध को लौटें हैं श्री राम।।   नैन जुड़ाऊँ,शीश झुकाऊँ देहरी पर मैं दीप जलाऊँ, देखूँ सुबहों – शाम । अवध को लौटें हैं श्री राम।।   विपदा में सब भक्त पुकारे अँसुवन से बस चरण पखारे, […]

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दोहे

अखिल निखिल विस्मित हुआ, सुन राधा की बात।                      विस्मित प्रात: दोपहर, विस्मित संध्या- रात।। कमलनयन के कंठ में, यह बैजंती माल। मोहित सारी गोपियां, राधा है बेहाल। अधर मृदुल मुस्कान है, मृदुल सुहावन बैन। और मृदुल धुन वंशिका, आप मुँद रहे नैन। गोकुल विरही हो […]

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नव वर्ष

खुशी-खुशी कर दो विदा, कहे दिसंबर मास। स्वागत कर नववर्ष का, मन में ले उल्लास।। पात पुराने जब झरे, आते तब नव पात। वृक्ष दुखी होता नहीं, छोड़ अंग के जात।। बात दिसंबर की खरी, जीवन का है सार। चक्र कालका घूमता, मिलना अगली बार।। यह जग एक सराय है, महीने सब मेहमान। पूर्ण अवधि […]

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संघर्ष

कहते है जिंदगी का दूसरा नाम संघर्ष है, पर क्यूँ ,हर संघर्ष की घड़ी में कोई न कोई पिछड़ा है । अक्सर टूटे सपनो से बिखर जाया करते है वो लोग जो भी यहाँ जीवन के सच से रहते अन्जान अब सपने सजोने वाली उन आँखों का क्या कसूर नादान दिल की वो तो बस […]

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मुझे भी अपना सा हे शिव बना दो

मुझे भी अपना सा हे शिव बना दो तुम सा ही मैं रख लूँ कंठ मे गरल हो जाये ह्रदय तुम सा ही हो तरल मुझे भी कल्याणमयी तुम बना दो। कंठ से नीचे उतरे तो हो मन आहत मुख से निकले तो हो जाये जन आहत मुझे भी निर्गुण तुम जैसा बना दो तुम्हीं […]

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