संस्कार बनाम सोशल संस्कार
मेरी इस लेख का शीर्षक पढ़कर कुछ लोग असमंजस में होंगे या इसे मजाक में टाल सकते हैं लेकिन यह शीर्षक मैंने क्यों दिया, इसके लिए मेरे अपने तर्क हैं, हो सकता है इससे आप सहमत हो या असहमत भी हो सकते हैं क्योंकि मुझे यह विषय चिंताजनक लगा। अतः मैंने इसे अपनी लेखनी के […]
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