विनय करूँ माँ शारदे, मिले कृपा भरपूर ।
तेरे शुभ आशीष से, हो संकट सब दूर।।
कंठ देवी वागेश्वरी, करो वीणा झंकार।
मधुर ध्वनि सुनकर लोग उठें, तेज का संचार करें।
ज्ञानमयी करुणा करो, दे दो माँ वरदान।
जीवन आलोकित रहे, हृदय भरे नित ज्ञान।।
वाग्देवी माँ शारदे, करते भक्त पुकार।
तुझसे पाकर ज्ञान माँ, करे प्रगति संसार।।
वीणा पुस्तक धारिणी, माता दिव्य स्वरूप।
श्वेत वरण में शोभती, महिमा दिव्य अनूप ।।
कर में माला धारती, पीत वस्तु अति खास।
चरण वंदना मिल करें, बनें ज्ञानदा दास।।
करलें ध्यान सरस्वती, मन से करें पुकार।
जीवन में उल्लास हो, दिव्य नाम जग सार।।
हंस विराजित माँ सदा, करना हम पर छाँव।
तेरे ही सब पूत हैं, कॉर्ट गड़े न पाँव।।
ओजस भरकर स्नेह से, करुणा कर बौछार।
वाग्देवी माँ शारदे, तेरे सब हैं नार।।
राग द्वेष अविवेक सब, मिट जाये भव ताप।
कहे रमा ये सर्वदा, करें शारदे जाप।।
डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’
रायपुर (छ.ग.)
आवरण चित्र
(वैष्णवी तिवारी)