वैसे तो हमारा समाज परिवारों से ही मिल कर बना है, लेकिन हर परिवार अपने आप में कुछ अलग होता है, कुछ खास होता है। अब मुहम्मदाबाद (उत्तर प्रदेश) के परिवार को ही देखिए, भाई नहीं है, दो बहनें ही हैं। लेकिन भाई नहीं है तो क्या हुआ, दो बहनों में भी बाँटा जा सकता है राखी का प्यार। प्रन्या लवी ने अपनी बहन अभिश्री को राखी बाँध कर मनाया रक्षा बंधन का त्योहार।
ये हैं दिल्ली से दो बहनें- अवंतिका और वंशिका।
हैदराबाद में रहने वाली मशहूर कवयित्री ज्योति नारायण लिखती हैं-
राखी का त्योहार भैया
बड़ा ही है अनमोल।
कीमत कभी ना आँकना
न होता नेह का मोल।।
यादों में बहना को रखना
न करना प्यार को तोल।
बहनों की दुआओं में है
भाई के लिये मीठे बोल।।
वाराणसी के सारनाथ में श्रुति और सुमुख ने इस तरह मनायी राखी।
गाजीपुर के मुहम्मदाबाद में जूही सिंह और देवांश सिंह।
कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में मयंक प्रसाद और हर्षित सिंह को राखी बाँध रही हैं मेधा प्रसाद।
भाई अरविंद सिंह कुशवाहा रहते हैं बलिया में और बहन सीमा रहती हैं गाजीपुर जिले के बैरान में, तो भाई ने सीमा के लिए जिले की सीमा पार की और पहुँच गये राखी बँधवाने।
वाराणसी से किरन दुबे और विजय पांडेय।
राखी पर ज्योति नारायण की एक और कविता-
आओ हम संसार सजायें सपनों का
आओ एक परिवार बसायें अपनों का।
राखी बँधी कलाई हो हर भाई की
जो रक्षा की कसम उठाये बहनों का।।
ये हैं महाराष्ट्र के पुणे से सुभि और राधे। ये जुड़वाँ हैं।
ये हैं गोरखपुर के अर्नव और अयांश राखी मनाते हुए।
वाराणसी से शौर्य दुबे और शिक्षा दुबे।
रोजाना की छोटी-मोटी नोंक-झोंक के बाद राखी का त्योहार इस तरह मनाया बबेड़ी, गाजीपुर के सर्वज्ञ और स्नेहा ने।
वाराणसी में श्वेता ने अपने भाई को बाँधी राखी। अब तक पता नहीं चला है कि श्वेता को कितना धन मिला। रिपोर्टर जानकारी जुटाने में लगे हुए हैं।
हाटा, गाजीपुर की अपूर्वा राय ने अपने भाई गोलू को बाँधी राखी।
ये हैं वाराणसी में सारनाथ के सुमन और कृष्णा।
बैरागढ़ (मध्य प्रदेश) से सुषमा जी अपने भाई संतोष सिंह के साथ।
बहन अपनी ससुराल में है, तो छोटे भाई ओम जी पहुँच गये मुहम्मदाबाद अपनी दीदी प्रीति पांडेय के पास। प्रीति का अपनी ससुराल में रहते हुए यह पहला रक्षा बंधन है।
बनारस की अमृता सिंह अपने भाई रोहित राय के साथ राखी मनाने पहुँची अपने मायके।
बलिया में ममता दुबे ने मनोज कुमार दुबे के साथ मनायी राखी।
बैरागढ़ (मध्य प्रदेश) से सुहानी और शिवम।
शादी के बाद ससुराल में पड़ी पहली राखी, उदास बैठी थी रितु पांडेय। भाई प्रवीण कुमार पांडेय भी कहाँ कम, पहुँच गए बहन की ससुराल, राखी बँधवाने, बहना को लेकर ढेर सारा प्यार।
भाई अभी बहुत छोटा है, दिल्ली में रहता है और कहीं दूर जा नहीं सकता। बहनें तो और भी छोटी हैं। और इस कोरोना के माहौल में बाहर नहीं निकल सकतीं। इसलिए उन्होंने दूर से ही अपने भाई को राखी के बंधन में बाँध के भेजा ढेर सारा प्यार- गुनगुन, श्री, अलका, अवि, धान्या, अद्विका और दर्शिका। मिसी भैया तो बहुत खुश हो गये।
दिल्ली में राखी मनाते हुए वंशिका, अवंतिका, आयुष, सुदिक्षा और नम्या।
ये हैं भाटापारा (छत्तीसगढ़) से तृप्ति साहू और कुणाल साहू।
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से शिवानी और बाबूराम।
बैरागढ़ (मध्य प्रदेश) से सुषमा जी अपने भाई जगदीश के साथ।
बैरागढ़ (मध्य प्रदेश) में राखी मनाते हुए सुहानी अपने भाइयों पंथ और एकजोत के साथ।
(लेडीज न्यूज टीम, 23 अगस्त 2021)