तरह-तरह की कंपनियों के शेयर किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो का अभिन्न अंग होते हैं। वजह यह है कि निवेश के अन्य विकल्पों के मुकाबले शेयरों को नकदी में बदलना अधिक आसान होता है। इसके अलावा शेयरों से रिटर्न भी बेहतर मिलता है। हालाँकि, शेयरों की खरीद में जोखिम भी अधिक होते हैं। ऐसे में अपने पोर्टफोलियो के लिए शेयर चुनते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश के लिए उधार नहीं लेना चाहिए। यह दुधारी तलवार की तरह होता है। नुकसान की स्थिति में यह दोनों ओर से बर्बादी लाता है। ऐसे में बेहतर यह है कि आप अपनी उस बचत को शेयर बाजार में लगायें जिसकी जरूरत आपको कम से कम अगले एक साल तक न हो। यही नहीं, अपनी पूरी पूँजी से शेयर खरीदना भी समझदारी नहीं है। हमेशा कुछ नकदी हाथ में रखनी चाहिए। हर बड़ी गिरावट निवेशक को खरीदारी का मौका देती है क्योंकि ऐसे में बड़ी कंपनियाँ भी सस्ती मिल जाती हैं। इस अतिरिक्त नकदी का इस्तेमाल ऐसे ही मौकों पर करना चाहिए।
निवेशक को निवेश के लिए हमेशा अच्छी कंपनियों के शेयरों का चुनाव करना चाहिए। अच्छी कंपनी पहचानने का एक तरीका यह है कि इसने लगातार अच्छा मुनाफा दिया हो। अधिक बाजार पूँजीकरण (Market Capitalization) वाली कंपनी चुनने पर जोखिम (Risk) कम हो जाता है। जब निवेशक लंबी अवधि (Long Term) के नजरिये से निवेश करता है तो शेयर बाजार से जुड़े जोखिम स्वतः कम हो जाते हैं। लंबी अवधि का निवेशक कंपनी के विकास के साथ अपनी पूँजी में बढ़ोतरी भी हासिल करता है। दूसरी ओर, छोटी अवधि (Short Term) में शेयर की चाल कंपनी की बुनियादी बातों से ज्यादा अन्य बातों जैसे महँगाई दर, बाजार का माहौल आदि से प्रभावित होती है।
हालाँकि लंबी अवधि में शेयरों से अच्छा रिटर्न हासिल होता है, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता। इसलिए अपने निवेश की समय-समय पर समीक्षा करते रहना चाहिए और उन शेयरों को अपने पोर्टफोलियो से बाहर कर देना चाहिए जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। हर तीन महीने पर निवेश की समीक्षा एक अच्छी रणनीति मानी जाती है। इसके अलावा निवेशक को अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहने की क्षमता की भी समीक्षा करते रहना चाहिए।
शेयरों की खरीद करते समय किसी खास सेक्टर पर दाँव लगाना सही नहीं होता क्योंकि किसी वजह से वह सेक्टर बुरा प्रदर्शन भी कर सकता है। इसलिए निवेशक को कई क्षेत्रों की कंपनियों में पैसा लगाना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने पोर्टफोलियो में शेयरों का ढेर लगा दें। किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो में 10 से 15 कंपनियों के शेयर उसके लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होते हैं। अपनी पूँजी का दस फीसदी से अधिक हिस्सा किसी एक कंपनी में नहीं लगाना चाहिए। (लेडीज न्यूज टीम, 30 जून 2021)