हमारे देश में निवेश की शुरुआत लोग अक्सर इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद कर ही करते हैं। वैसे तो जीवन बीमा योजनाओं का लक्ष्य होता है मृत्यु की स्थिति में उसके परिजनों को लाभ देना, लेकिन दुर्भाग्यवश इन योजनाओं को इस सुरक्षा के बजाय निवेश के विकल्प के तौर पर बेचा जाता है। ऐसे में जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते समय आपको इन बातों पर ध्यान देना चाहिए।
जीवन बीमा खरीदने से पहले यह जरूरी है कि उसकी जरूरत तय कर ली जाये। उस घटना के होने की संभावना कितनी है और उस घटना के घटित होने पर वित्तीय तौर पर उस परिवार पर कितना असर पड़ेगा, इस आधार पर विचार करने के बाद ही जीवन बीमा खरीदना चाहिए।
बीमा पॉलिसी बेचते समय एजेंट इस बात पर जोर देते हैं कि उस बीमा योजना से लंबी अवधि में पूँजी निर्माण होगा। एजेंट इस बात को नजरंदाज कर देते हैं कि उस बीमा योजना से बीमाधारक को पर्याप्त इंश्योरेस कवर मिलेगा या नहीं। वे ग्राहकों को भविष्य के सुनहरे सपने दिखा कर बीमा पॉलिसी बेचने की कोशिश करते हैं। ऐसे में बीमा के एक खरीदार के तौर पर एजेंट की ऐसी बातों में न आयें।
ध्यान रखें कि इंश्योरेंस कवर खरीदना ही काफी नहीं है। यह कवर पर्याप्त होना चाहिए। जरूरत से कम राशि का बीमा लेना बेमतलब है। यही नहीं, जरूरत से काफी अधिक राशि की इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना भी सही नहीं होता, क्योंकि अच्छा-खासा पैसा प्रीमियम की अदायगी में चला जाता है।
कई बीमा योजनाएँ खरीदने पर आपको आय कर अधिनियम 1961 की धारा 80 सी के तहत इनकम टैक्स में छूट हासिल होती है। ऐसा अक्सर देखा जाता है कि एजेंट इस बात का फायदा उठाते हुए इंश्योरेंस पॉलिसी बेचने की कोशिश करते हैं। ध्यान रखें कि इनकम टैक्स की बचत करना किसी इंश्योरेंस पॉलिसी को खरीदने का प्रमुख कारण और एकमात्र कारण नहीं होना चाहिए। (लेडीज न्यूज टीम, 09 जुलाई 2021)
(आवरण चित्र- वैष्णवी तिवारी)