तेरे माथे पर लिख देना है मुझे
अपने होठों से एक दुआ ..
भर देना चाहती हूँ तेरी आँखों में
जगमगाते उम्मीद और सपने ..
रख देना है तेरे होठों पर
लहलहाती फसल सी हँसी ..
तेरे चेहरे पर मल देना है सूरज का तेज
चाँद का रंग लिए …
लिख देना है तेरे सीने पर
एक सोंधी, मीठी सी कविता …
तेरे कदमों में मिला देना है
अपने कदमों की ताक़त
रास्ते के लिए रख देना है मुझे
तेरे संग एक पोटली में ..
बूँद भर पसीना, मुठ्ठी भर बीज, एक नदी
कुछ आग … और .. ढाई आखर प्रेम के .. .
ऐसे ही चलते रहना साथी
चलते रहना ….
मधु सक्सेना
रायपुर (छत्तीसगढ़ )
(यह इनकी मौलिक रचना है)