मधु सक्सेना की रचना- ऐसे ही चलते रहना

तेरे माथे पर लिख देना है मुझे अपने होठों से एक दुआ .. भर देना चाहती हूँ तेरी आँखों में जगमगाते उम्मीद और सपने .. रख देना है तेरे होठों पर लहलहाती फसल सी हँसी .. तेरे चेहरे पर मल देना है सूरज का तेज चाँद का रंग लिए … लिख देना है तेरे सीने […]

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मधु सक्सेना की रचना- इंतज़ार है

आया त्यौहार भर गई उमंग प्रकृति ने किया श्रृंगार महकने लगी दिशाएँ फिर भी … इंतज़ार है उस महक का जो महका दे मनुष्य को सदा-सदा के लिए … आ गए सब .. सज गए रिश्ते घर की गोद भर गई स्वाद घुलने लगे गुजिया, पपड़िया के खनकने लगी हँसी . फिर भी .. इंतज़ार […]

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मधु सक्सेना की कविता- अपने-अपने स्थान

दुख क्या है? अपमान क्या है? दर्द क्या है? कुछ शब्द.. जिन्हें रख दिया था नुकीला बना कर आँच में तपा कर.. खूब गर्म कुछ चुभा, कुछ निशान बने जलने के टीस.. सिसकारी बन उभरी.. बस अब ये करना बटोर लेना सारे शब्द एक थैली में रख मिला देना अच्छी तरह खेलना उनसे हाऊजी की […]

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कारोबार

सुख आये तो बिठा देना दूर भले ही चाय-पानी मत पूछना उसके साथ बतियाना कम हँस लेना थोड़ा ज्यादा तवज्जो मत देना जब भी आयेगा झूठ का लबादा ओढ़े रहेगा दुख आये तो आदर और लाड़ से बिठाना पानी-चाय पूछना मनुहार करके खिलाना ख्याल रखना उसका दुख जब भी आयेगा ढेर सारा सच लेकर आयेगा […]

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