वैसे तो भारत की ओर से काफी महिलाओं ने ओलम्पिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन इन खेलों में पदक जीतना आसान नहीं रहा है। ओलम्पिक खेलों में भारत की महिलाओं के पदक जीतने का सिलसिला कर्णम् मल्लेश्वरी (Karnam Malleswari) ने शुरू किया। साल 2000 के सिडनी ओलम्पिक्स (Sydney Olympics) में भारोत्तोलन (Weightlifting) में 69 किलोग्राम श्रेणी में भाग लेते हुए कर्णम् मल्लेश्वरी ने कांस्य पदक (Bronze Medal) हासिल किया।
इसके बाद के दो ओलम्पिक खेलों से भारतीय महिलाओं को खाली हाथ ही लौटना पड़ा, लेकिन साल 2012 के लंदन ओलम्पिक्स (London Olympics) में साइना नेहवाल (Saina Nehwal) ने इस सूखे को खत्म कर दिया। बैडमिंटन (Badminton) की महिला एकल प्रतिस्पर्द्धा में साइना को कांस्य पदक हासिल हुआ। इसके कुछ ही दिनों बाद बॉक्सिंग (Boxing) के फ्लाइवेट कैटेगरी में एम सी मेरी कॉम (M C Mary Kom) ने भी कांस्य पदक जीता। इस तरह लंदन ओलम्पिक्स से भारत की महिलाएँ दो कांस्य पदक ले कर लौटीं।
साल 2016 के रियो ओलम्पिक्स (Rio Olympics) तक आते-आते भारतीय महिलाओं से उम्मीदें काफी बढ़ चुकी थीं। इस बार कमाल दिखाया कुश्ती (Wrestling) की खिलाड़ी साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने। इन्होंने 58 किलोग्राम के फ्रीस्टाइल श्रेणी में कांस्य पदक हासिल किया। इसके बाद बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिन्धु (PV Sindhu) ने महिला एकल प्रतिस्पर्द्धा में रजत पदक जीत कर इतिहास रच दिया। सिन्धु ओलम्पिक खेलों में रजत पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला हैं।
इस तरह ओलम्पिक खेलों में अब तक भारतीय महिलाओं को चार कांस्य पदक और एक रजत पदक मिल चुके हैं। खेलों के लिहाज से देखें तो बैडमिंटन से दो पदक, जबकि वेटलिफ्टिंग, बॉक्सिंग और रेसलिंग से एक-एक पदक मिले हैं।
इस बार टोकियो ओलम्पिक्स (Tokyo Olympics) में भारत 50 से अधिक महिलाओं का दल भेज रहा है। सपने बड़े हैं, उम्मीदें बड़ी हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी कम बड़ी नहीं हैं। (लेडीज न्यूज टीम, 18 जुलाई 2021)
(आवरण चित्र कर्णम् मल्लेश्वरी के इंस्टाग्राम खाते से साभार)