कहते है जिंदगी का दूसरा नाम संघर्ष है,
पर क्यूँ ,हर संघर्ष की घड़ी में
कोई न कोई पिछड़ा है ।
अक्सर टूटे सपनो से बिखर जाया
करते है वो लोग
जो भी यहाँ जीवन के सच से रहते अन्जान
अब सपने सजोने वाली उन
आँखों का क्या कसूर
नादान दिल की वो तो बस
एक कल्पना ,एक पहचान है।
जिंदगी समझतें है कुछ लोग चंद पलो को
मोहब्बत में कहाँ रहता जमीन पर कोई इंसान
जब मिलती है सजा
जिंदगी में किसी से दिल लगाने की,
लगे बोझ ऊपर वाले का वो तोहफा
जिसके नाम है जान
जिंदगी कितना भी दे दुख
हस के जी लो यारों
मौत भी आज तक कहाँ हुई
है किसी पे मेहरबान
जिंदगी सुख दुख का घूमता हुआ
एक पहिया
जो न समझा ये
वो ना समझ न नादान
दीप्ति प्रसाद