मुझे भी अपना सा हे शिव बना दो
तुम सा ही मैं रख लूँ कंठ मे गरल
हो जाये ह्रदय तुम सा ही हो तरल
मुझे भी कल्याणमयी तुम बना दो।
कंठ से नीचे उतरे तो हो मन आहत
मुख से निकले तो हो जाये जन आहत
मुझे भी निर्गुण तुम जैसा बना दो
तुम्हीं मे डूब जाऊँ अब तो मैं आकंठ
बन जाऊँ मैं तुम जैसा ही नीलकंठ
अविकारी मुझेअब हे शिव बना दो
समाहित कर लो अब मुझे स्वयं मे
योगिनी अब मुझे हे शिव बना दो।।
नीलिमा मिश्रा