नवरात्रि के दौरान हम देश की ऐसी नौ बेटियों की बात करेंगे जिन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया।
आज कहानी एक पर्वतारोही बिटिया की। बात माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) को फतह करने वाली पहली दिव्यांग महिला और पद्म श्री से सम्मानित अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha) की। 20 जुलाई 1989 को लखनऊ के एक निकटवर्ती जिले अम्बेडकर नगर में पैदा हुई अरुणिमा राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबाल खिलाड़ी रही हैं। साल 2011 के अप्रैल महीने में जब वह रेलगाड़ी से लखनऊ से दिल्ली जा रही थीं, उनका सामान छीनने के प्रयास में डाकुओं ने उन्हें रेल से नीचे फेंक दिया। दूसरी तरफ से आ रही रेलगाड़ी ने उनका बायाँ पैर कुचल दिया, जिसे बाद में काटना पड़ा, ताकि उनका जीवन बचाया जा सके।
एम्स में इलाज के बाद उन्होंने तय किया कि वह अपनी दिव्यांगता को आड़े नहीं आने देंगी और माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करेंगी। माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बछेन्द्री पाल ने भी इसके लिए उन्हें प्रेरणा दी। अरुणिमा ने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया और 21 मई 2013 को अपना लक्ष्य हासिल कर लिया। इस तरह वह माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली दिव्यांग महिला बन गयीं।
इसके बाद उनका अगला लक्ष्य था सातों महाद्वीपों के सात सर्वोच्च शिखरों को छूने का। साल 2019 आते-आते उन्होंने यह कारनामा भी कर दिखाया और साबित किया कि ठान लिया जाये, तो कोई भी काम असंभव नहीं होता।
साल 2015 में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार (Padma Shree Award) से सम्मानित किया गया। (लेडीज न्यूज टीम, 11 अक्टूबर 2021)
(आवरण चित्र अरुणिमा सिन्हा के ट्विटर खाते से साभार)