सुख आये तो बिठा देना दूर
भले ही चाय-पानी मत पूछना
उसके साथ बतियाना कम
हँस लेना थोड़ा
ज्यादा तवज्जो मत देना
जब भी आयेगा
झूठ का लबादा ओढ़े रहेगा
दुख आये तो आदर और लाड़ से बिठाना
पानी-चाय पूछना
मनुहार करके खिलाना
ख्याल रखना उसका
दुख जब भी आयेगा
ढेर सारा सच लेकर आयेगा
जीवन सहज हो जायेगा
जब जान लिया जायेगा
सच और झूठ का कारोबार।
मधु सक्सेना
रायपुर (छत्तीसगढ़)
(यह इनकी मौलिक रचना है)