ना तू अबला ना तू सबला
ना नर है ना तू नारी ।
तुझ में ताकत पुरुष के जैसी
फिर भी तू बेचारी।
तू सम्मान की अधिकारी,
फिर भी समाज से बाहर
कभी कहो अपनी व्यथा भी,
क्या है तेरे अंदर।
तुझमें पौरुष कूट-कूट के,
ममता भी तुझ में न्यारी ।
फिर क्यों तुझको
भावहीन समझे यह दुनिया सारी।
उसी ने तेरा रूप गढ़ा और
किया तुझे साकार।
वह परमपिता वही ईश्वर,
जिसने रचा है यह संसार।
तेरी तरह दो रूप को लेकर,
बना है वो परमेश्वर।
इसी रूप के कारण ही,
कहलाया अर्धनारीश्वर।।
शुभ्रा तिवारी
गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)
(यह इनकी मौलिक रचना है)