भारत की ओर से लड़कियों का बड़ा दल टोकियो ओलम्पिक्स (Tokyo Olympics) के लिए भेजा जा रहा है। इस दल की हर लड़की खुद में लड़ाका (Warrior) है और इसने अपनी क्वालिफिकेशन अपनी मेहनत के दम पर हासिल की है। जैसा कि केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने भी ट्वीट के माध्यम से लिखा, हमारे हर एथलीट की कहानी बाधाओं पर जीत हासिल करने की कहानी है।
ऐसी ही एक कहानी है तमिल नाडु के मदुरई जिले की वी रेवती (V Revathi) की, जो टोकियो ओलम्पिक्स में 4×400 मीटर रिले दौड़ में महिला टीम का हिस्सा होंगी। रेवती की उम्र केवल छह साल थी, जब उनके माता-पिता का देहांत हो गया। उसके बाद उनको और उनकी छोटी बहन को सहारा दिया मदुरई के सक्किमंगलम गाँव में रहने वाली उनकी नानी ने, जो खुद एक दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करती थीं। नानी ने खुद काम किया, लेकिन इन दोनों बच्चियों से काम नहीं कराया, बल्कि इनको पढ़ाई के लिए प्रेरित करती रहीं। रेवती जब स्कूल में थीं, तब उनकी प्रतिभा को पहचाना कोच के कन्नन ने।
गरीबी का आलम यह था कि रेवती के पास दौड़ के लिए ठीक-ठाक जूते तक नहीं थे, लेकिन वह दौड़ की प्रतियोगिताएँ जीतती गयीं और साल 2019 में रेवती का चयन एनआईएस पटियाला के राष्ट्रीय कैम्प के लिए हो गया। इसके बाद रेवती ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। रेवती अब रेलवे में टीटीई हैं और उनकी छोटी बहन तमिल नाडु में ही पुलिस विभाग में काम करती हैं।
अब सपना है तो बस ओलम्पिक्स में पदक लाने का। (लेडीज न्यूज टीम, 14 जुलाई 2021)
(आवरण चित्र केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के ट्विटर खाते से साभार)