आँसू
नहीं मचाती शोर कभी ये, चुपके ही रह जाती। अश्रु भरी अँखियों की पीड़ा, व्यथा कथा कह जाती।। लिए गठरिया कर्तव्यों की, प्रतिपल चलती नारी। माँ बेटी भार्या बनकर नित, अपना जीवन हारी। अंतर्मन में चीख दबाकर, दुख सारे सह जाती। अश्रु भरी अँखियों की पीड़ा, व्यथा कथा कह जाती।।1।। नहीं भावना समझे कोई, स्वार्थ […]
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