बनेगी अपनी पहचान एक दिन
स्तुति करूँ वाग्देवी की, या साधना महादेवी की। पंत, दिनकर और निराला या प्रेरणा लूँ अज्ञेय से, कुछ लिखूँ, क्या लिखूँ कैसे पीछे हटूँ अपने ध्येय से। मन में विचार नित नए कौंधते, रहीम, सूर, तुलसी सा लिखूँ या सीख लूँ, रसखान और हरिऔध से। कहाँ से सीखूँ भाषा शैली, मुझको शरण […]
Continue Reading