मेरी रचनाओं का इक नाम रख लो
मेरे स्वरों की पहचान रख लो
मुझ पर है विश्वास यदि
मेरे विश्वास की आन रख लो
मेरी आस मेरे विश्वास की हुई हार हरदम
स्वयं से जीतने का आज मान रख लो
अपने अस्तित्व को बनाए रखने की खातिर
घायल हुई कई बार, वो निशान रख लो
वो सपने वो कल्पनाएँ जो पलकों तक न आ पाए
जो दिल में दब के रह गये वो अरमान रख लो
अपने आशीष की छाँव दे दो जीवन की धूप में
मैं फिर से जी उठूँगी फिर से मेरा आत्मसम्मान रख लो
सुषमा सिंह ‘कुंवर’
भोपाल (मध्य प्रदेश)
(यह इनकी मौलिक रचना है)
(आवरण चित्र- श्वेता श्रीवास्तव)