शब्द ही निः शब्द है
शब्द ही तो बोल है
शब्द ही मोतियों की माला
शब्द ही मुक्ताहार है
शब्द ही तो बनावटी
शब्द ही यथार्थ है
शब्द ही है अकेला
शब्द ही संसार है।
शब्द ही तो गीत है
शब्द ही तो साज है
शब्द ही तो तीर है
शब्द ही तलवार है
शब्द ही तो निर्मल नीर
शब्द ही शीतल बयार है
शब्द ही तो चंदन लेप
शब्द ही भेदने को तैयार है
शब्द ही तो अथाह प्रेम
शब्द ही तकरार है।
शब्द ही तो शक्ति
शब्द ही आधार है
शब्द ही तो वेदना
शब्द ही उपचार है
शब्द ही तिरस्कार
शब्द ही उपहार है
शब्द ही कोमल हृदय
शब्द ही पाषाण है।
शब्द ही सावन की बूँदें
शब्द ही ज्येष्ठ आषाढ़ है
शब्द ही वात्सल्य है
शब्द ही दुलार है
शब्द ही आकर्षण है
शब्द ही दुत्कार है
शब्द ही तो स्मृति है
शब्द ही गुलज़ार है।
स्मृति
वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
(यह इनकी मौलिक रचना है)
(आवरण चित्र- वैष्णवी तिवारी)