ज्योति नारायण की कविता
नारी का एक सुन्दर रूप जल की तरह सूर सरिता कूल है तू , सलिल सुचिता संचिता, नीर है और क्षीर भी है, धीर वीर सी सविता । बह रही अच्छुण धरा जो, वो ही है तू अमरता, गिरि शिखर को लाँघती, कहीं धार धार सी धारिता । जागृति अध्याय प्रथम तू, चेतना चैतन्यता, और […]
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