कितना नादाँ है मुझको चन्दा कहता है वो लड़का
कितना नादाँ है जुगनू कहता है चन्दा को लड़का
आज ‘बुरी बेटी’ बन जाऊँ या फिर ‘धोखेबाज सनम’
एक तरफ़ हैं अम्मा बाबा एक तरफ है वो लड़का
प्यार मुहब्बत का क्या है ये हर कोई कर लेता है
शादी उससे करना तुमको इज़्ज़त भी दे जो लड़का
लड़की ऐसी हो के जो लड़के की ताकत बने सदा
बने कभी ना कमज़ोरी लड़की की ऐसा हो लड़का
लाखों लोग मिलेंगे जिनको नहीं चाहिए लड़की, पर
नहीं मिलेगा कोई जिसको नहीं चाहिए हो लड़का
आस पास के लड़के उसको लड़की लड़की कहते हैं
गलती इतनी सी है के रोने लगता है वो लड़का
“सहर” नुमाइश लगेगी फिर मैं फिर सजधज के बैठूँगी
फिर ठुकरा जाएगा ‘काली है’ कहकर मुझको लड़का
ऋचा चौधरी “सहर”
(भोपाल, मध्य प्रदेश)
(यह इनकी मौलिक रचना है)
(आवरण चित्र- श्वेता श्रीवास्तव)