ज्योति नारायण की रचना- फेंका कंकर ताल में
फेंका कंकर ताल में, टूटा जल का मौन। लगी पूछने हर लहर, तट पर आया कौन। अंतस में शतदल खिले, गाये मन ने गीत। सौरभ बिखरा प्रेम का, मिला मुझे मनमीत। फिर से हैं बेचैन ये, कज्जल पूरित नैन। दिन का नहीं सुकून है, नहीं रात का चैन। बरसीं बूँदे प्रेम की, भीग रहा हर […]
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