विद्या भंडारी की रचना- समय

Mind and Soul

वक्त के समंदर में आये कई सिकन्दर
और कई डूब गये
कोई बचा नहीं पाया।

समय के बेलगाम घोड़े को
कोई जंजीर से बाँध नहीं पाया।
वक्त की आँधियाँ कितना कुछ लील गयीं
कोई रोक नहीं पाया।
शहंशाह हो या वैज्ञानिक
समय के बदलाव के आगे ठहर न पाया।

वक्त की पुकार ब्रह्मांड की पुकार
कोई समझ न पाया।

समय किसी का मोहताज नहीं
वक्त की हवाओं में उड़कर देखो
सिखा देता है आकाश में उड़ना।

विद्या भंडारी

कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

(यह इनकी मौलिक रचना है)

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