आकाश की नीलिमा में चाँद मधुकलश लिए

Mind and Soul

आकाश की नीलिमा में,
पूनो का चाँद मधुकलश लिए,
शुभ्र चंद्रकिरणों की,
हो रही वर्षा,
देखो अभिमंत्रित प्रज्ञा सी ,
ज्योत जली,
भुवनमोहिनी की आभा लिये,
ताल मे सरोज खिली,
सुरेश इन्द्र के प्रांगण में,
प्रार्थना लिये,
देवों की कामना फली,
वृन्दावन की रजनी में,
रेणूतट पर सौन्दर्य मल्लिका,
राधा के मीनाक्षी नयन,
चपल हो ढूँढ रहे,
नृत्यप्रवीणा गोपियाँ,
पुकारती कान्हा को,
शैलशिखरों पे,
मुस्काती चाँदनी,
आज महारास मे,
कृष्णप्रेम की अनल जली,
नृत्य करते बेसुध,
राधिका के निश्छल प्रेम की,
मनमोहना पर जीत हुई।।

नीलिमा मिश्रा

कांकेर (छत्तीसगढ़)

(यह इनकी मौलिक रचना है)

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