माँ

माँ अनगढ़ सी खुद रहती, पर सुंदर गढ़े तस्वीर। गीत बनाती जीवन के, कर कितने ही तदबीर।। माँ की लोरी गीता है, और है रामायण की बात। दुख बच्चों का दूर है करती, करे प्रेम बरसात।। इनकी डांँट औ थपकी में है, जीवन भर का सार। मांँ के आँचल में है सोता, यह सारा संसार।। […]

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कर्मभूमि तेलंगाना में रह कर हिन्दी का प्रचार-प्रसार कर रही हैं ज्योति नारायण

कविता कब से लिखना आरंभ किया, स्वयं को ही पता नहीं। बचपन में कोटेशन लिखने की आदत थी। कुछ भी मन में आया, डायरी में नोट करती थी। खुश होती या क्रोधित होती, तो भी लिखती थी। कम उम्र में शादी होने पर गृहस्थी का जुआ कन्धे पर आने पर स्वयं पर कभी ध्यान नहीं […]

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एक नवल दिनमान चाहिए

एक नवल दिनमान चाहिए गुंजित किरणें, गान चाहिए तय कर सकूँ मंजिलें अपनी निर्विरोध अवगान चाहिए मुझे सीढ़ियाँ ऊँची चढ़नी फिर भी आसमान चाहिए पंखों में परवाज का साहस सपनों की वो उड़ान चाहिए रखूँ नींव महल की अपनी लोहे-कंकर ज्ञान चाहिए सुंदर सा घर मेरा सजता साजो व सामान चाहिए तुलसी चौरा हो आंगन […]

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धरती जैसा धैर्य है, नभ सा है अभिमान

सबला है अबला नहीं, नारी जग की शान। मीरा, राधा, गार्गी, वह रजिया सुल्तान।। नारी के सम्मान में, नहीं सिर्फ जयगान। दोयम दर्जे की नहीं, है इसकी पहचान।। कलम-कटारी-बेलना, है यह स्वर्ण-विहान। जन्म विश्व को दे रही, यह ईश्वर वरदान।। इससे जीवन सुलभ है, यह सुख का है धाम। धरती जैसा धैर्य है, नभ सा […]

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नारी मन मत तोलिये, उसका नभ विस्तार

नारी से घर होत है, नारी से संसार। नारी बिन नर भी कहाँ, नारी है आधार।। नारी ही सम्हालती, संस्कृति संस्कार। इस सृष्टि पर हो सदा , नारी का अधिकार।। देवी दुर्गा लक्ष्मी, नारी हर अवतार। पत्नी, बेटी है बनी , माँ बन करती प्यार।। नारी मन मत तोलिये, उसका नभ विस्तार। बन शक्ति शिव […]

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बारिश का डेरा ️

चाँदी का थाल सा चंदा का रूप झूमर हैं खेलते तारे अनूप नीरव नि:शब्द है छाया प्रतिरूप सिमटा अवधूत सा गहरा वो कूप मुग्धा है छवि सी वो शीतल स्वरूप लोकती-विलोकती जलधर बहुरूप पुरातन नित नूतन है जगती प्रारूप प्रारब्ध का दोष क्या समय रहा चुप तिरछी रेखाओं में जीवन की धूप श्रम बिन्दु सींचती […]

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हरे पत्तों के गिरने का कोई मौसम नहीं होता

मिले होते जो राहों में, तो कोई गम नहीं होता जुस्तजू हो गयी होती ये दिल पुरनम नहीं होता लुटे हम प्यार की खातिर, मगर कुछ भी नहीं हासिल वफ़ा करते वफ़ा से वो, तो दिल में खम नहीं होता सितारे जगमगाते हैं, मगर रोशन कहाँ होते जलाते दीप देहरी पे, तो वो मातम नहीं […]

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