अफगानिस्तान की महिलाओं और बच्चों को है मदद की जरूरत- नरेन्द्र मोदी

Colours of Life

गत डेढ़ वर्ष से पूरा विश्व 100 साल में आयी सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहा है। ऐसी भयंकर महामारी में जीवन गँवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूँ और परिवारों के साथ अपनी संवेदनाएँ व्यक्त करता हूँ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन बातों के साथ शनिवार को संयुक्त राष्ट्र की महासभा में अपने संबोधन की शुरुआत की।

उन्होंने आगे कहा, मैं उस देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूँ, जिसे लोकतंत्र की जननी (Mother of Democracy) का गौरव हासिल है। लोकतंत्र की हमारी हजारों वर्षों की महान परंपरा रही है। इस 15 अगस्त को भारत ने अपनी आजादी के 75वें साल में प्रवेश किया है। हमारी विविधता हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है।

ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि एक छोटा बच्चा, जो कभी एक रेलवे स्टेशन के टी-स्टॉल पर अपने पिता की मदद करता था, वो आज चौथी बार भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर संयुक्त राष्ट्र की महासभा (UNGA) को संबोधित कर रहा है।

उन्होंने आगे कहा, ये सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए ना हो। हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि वहाँ की नाजुक स्थितियों का कोई देश, अपने स्वार्थ के लिए, एक टूल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश ना करे। इस समय अफगानिस्तान की जनता को, वहाँ की महिलाओं और बच्चों को, वहाँ की माइनॉरिटीज को, मदद की जरूरत है और इसमें हमें अपना दायित्व निभाना ही होगा।

भारत के महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था- कालाति क्रमात काल एव फलम् पिबति। जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता, तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है। संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाये रखना है तो उसे अपनी प्रभावकारिता (Effectiveness) को सुधारना होगा, विश्वसनीयता (Reliability) को बढ़ाना होगा। (लेडीज न्यूज टीम, 26 सितंबर 2021)

(आवरण चित्र पीएमओ इंडिया के ट्विटर से आभार)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *