अफगानिस्तान पर आयोजित एससीओ- सीएसटीओ (SCO-CSTO) आउटरीच शिखर सम्मेलन में अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ किया कि अफगानिस्तान में सत्ता-परिवर्तन समावेशी (Inclusive) नहीं है और बिना पारस्परिक समझौते (Negotiation) के हुआ है। इससे नयी व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं।
प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि महिलाओं तथा अल्पसंख्यकों सहित अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व भी महत्वपूर्ण है। और इसलिए यह आवश्यक है कि नयी व्यवस्था की मान्यता पर फैसला वैश्विक समुदाय (Global Community) सोच-समझ कर और सामूहिक तरह से ले।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगला विषय अफगानिस्तान में गंभीर मानवीय संकट (Humanitarian Crisis) का है। वित्तीय और व्यापारिक प्रवाह में रुकावट के कारण अफगान जनता की आर्थिक विवशता बढ़ती जा रही है। साथ में कोविड (COVID) की चुनौती भी उनके लिए यातना का कारण है। विकास और मानवीय सहायता के लिए भारत बहुत वर्षों से अफगानिस्तान का विश्वस्त साझेदार रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भी हम अपने अफगान मित्रों तक खाद्य सामग्री, दवाइयाँ आदि पहुँचाने के लिए इच्छुक हैं। हम सभी को मिल कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान तक मानवीय सहायता निर्बद्ध तरीके से पहुँच सके। (लेडीज न्यूज टीम, 18 सितंबर 2021)
(आवरण चित्र पीएमओ इंडिया के ट्विटर से आभार)