नवरात्रि की नौ कहानियाँ- ओलम्पिक खेल में तलवारबाजी में भारत की ओर से जाने वाली पहली भारतीय

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भवानी देवी की यह उपलब्धि इसलिए बेहद खास है क्योंकि भारत में तलवारबाजी जैसे खेल को कोई महत्व नहीं देता। लड़के भी इस खेल की ओर नहीं जाना चाहते, लेकिन एक लड़की हो कर भवानी ने न केवल इसे अपनाया, बल्कि इसे ले कर भारत के लिए ओलम्पिक तक गयीं।

यही नहीं, टोकियो ओलम्पिक्स 2020 के अपने पहले मुकाबले में भवानी देवी ने ट्यूनीशिया की नादिया बेन अजीजी को 15-3 से हरा कर तलवारबाजी में ओलम्पिक स्तर पर कोई मैच जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी के तौर पर भी अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया था।

लेकिन अगले दौर में वह फ्रांस की मैनों ब्रूने से सात के मुकाबले पंद्रह अंकों से हार गयीं। भले ही भवानी दूसरे दौर का मैच हार कर ओलम्पिक्स से बाहर हो गयीं, लेकिन मैच के दौरान उन्होंने जिस तरह का जज्बा और संघर्ष की क्षमता दिखायी, वह काबिलेतारीफ है।

27 अगस्त 1993 को जन्मी भवानी देवी के पिता पुजारी का काम करते थे, जबकि माँ गृहिणी थीं। साल 2004 में स्कूल स्तर पर वह तलवारबाजी से परिचित हुईं। हाई स्कूल के बाद उन्होंने केरल में साई सेंटर में दाखिला ले लिया। साल 2014 में फिलीपींस में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में अंडर 23 श्रेणी में उन्हें रजत पदक मिला। इस स्तर पर रजत पदक हासिल करने वाली वह पहली भारतीय हैं।

साल 2015 में उनका चयन राहुल द्रविड़ एथलीट मेंटरशिप प्रोग्राम के लिए हो गया। इसके बाद साल 2018 में कैनबरा में हुए सीनियर कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीत लिया। इस स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय हैं।

(सभी चित्र भवानी देवी के ट्विटर खाते से साभार)

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