दीपावली पर ज्योति नारायण की दो रचनाएँ
एक कविता- लघु दिया सूरज आगे लघु दिया क्या यही अमावस पूर्ण ओम हुई ज्ञान ज्योति की उज्जवल किरणें भर प्रकाश यह व्योम हुईं छुई-मुई नन्हीं सी बाला झूम-झूम कर मौन हुई ना जाने किस प्रीत में पागल लहक-लहक यही होम हुई भर आकूत आवर्त घिरी रही फिर भी प्रखर हो धूम्र हुई श्रम […]
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