तस्वीरें बोलती हैं, पुरानी यादों के पट खोलती हैं

तस्वीरें… एक जमाना था, जब तस्वीर, कैमरा, स्टूडियो आदि के नाम से ही हमारे चेहरे पर एक नूर सा छा जाता था। तस्वीरों का शौक यूँ तो सबको ही होता है, लेकिन महिलाओं में यह शौक खास तौर पर देखा जाता है। यह सच कल भी था और आज भी है, बस उस शौक को […]

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ये मैंने किसको सज़ा दे दी

आज सुबह-सुबह एक चिड़िया (पंडुक) मेरी बालकनी में आयी, जिसके बारे में आप सभी जानते होगें। उसकी वाणी ने जैसे मन में करुण रस का संचार कर दिया। इस चिड़िया के कूकने के विषय में एक किस्सा प्रचलित है। मेरे हम-उम्र लगभग हर किसी ने अपने बचपन में अपनी दादी-नानी से ये किस्सा जरूर सुना […]

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मैं खुश हूँ कि मैं नारी हूँ

मैं खुश हूँ कि मैं नारी हूँ दुर्गा, शक्ति, शिवा, धात्री कहलाने की मैं ही तो अधिकारी हूँ।   चाहे जितनी दो यातनाएँ, प्रताड़नाएँ या बाँधो जंजीरों में मैं इन सबसे कब हारी हूँ? मैं खुश हूँ कि मैं…………….   प्रेम, दया, करुणा धर अपने मन में, काँटों से घिरी हुई, मैं एक फुलवारी हूँ मैं खुश हूँ कि […]

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शब्द ही है अकेला, शब्द ही संसार है

शब्द ही निः शब्द है शब्द ही तो बोल है शब्द ही मोतियों की माला शब्द ही मुक्ताहार है शब्द ही तो बनावटी शब्द ही यथार्थ है शब्द ही है अकेला शब्द ही संसार है। शब्द ही तो गीत है शब्द ही तो साज है शब्द ही तो तीर है शब्द ही तलवार है शब्द […]

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बनेगी अपनी पहचान एक दिन

स्तुति करूँ वाग्देवी की, या साधना महादेवी की।   पंत, दिनकर और निराला या प्रेरणा लूँ अज्ञेय से, कुछ लिखूँ, क्या लिखूँ कैसे पीछे हटूँ अपने ध्येय से।   मन में विचार नित नए कौंधते, रहीम, सूर, तुलसी सा लिखूँ या सीख लूँ, रसखान और हरिऔध से।   कहाँ से सीखूँ भाषा शैली, मुझको शरण […]

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करो कुछ ऐसा कि फिर से खिल उठें मुरझाए हुए चेहरे

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत, ये पंक्तियाँ हमारे कविश्रेष्ठ द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी ने लिखी हैं, जो आज के माहौल में शत-प्रतिशत चरितार्थ हो रही हैं। मैंने अभी जिस माहौल या दौर का जिक्र किया, वह विशेष रूप से कोरोना महामारी के कारण बना है, जिसने पिछले एक साल से हमें […]

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दीवार

अपने कंधों पर ले कर घूमती ना जाने कितने घर, मंदिर, कुटी और मीनार, दीवार। नींव में बरसों-तलक दब कर भी कभी उफ़ नहीं करती दीवार। लोग कहते हैं दीवारों के भी कान होते हैं पर कभी किसी से कुछ नहीं कहती दीवार। अपनी सख़्त बाँहों के घेरे में बचाये रखती हमारे परिवार को लोगों […]

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कायदा-ए-कोरोना

लोगों से मिलना घूमना-टहलना बाहर निकलना मना हो गया किसी के भी साथ हँसना-बोलना और किसी के साथ बैठना मना हो गया जो ना माना इन बंदिशों को वो हँसता-बोलता इंसान दुनिया से फना हो गया ऐसे करो ना, वैसे करो ना यही तो कायदा-ए-कोरोना हो गया जो न माना इन बंदिशों को…. पहले कहते […]

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