क्या है पितृ पक्ष का महत्व, कैसे करें पितरों को प्रसन्न

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्राद्ध पक्ष यानि पितृ पक्ष प्रारंभ हो चुका है। यह पक्ष 15 दिन का होता है। इस अवधि में हम अपने पितरों यानि अपने पूर्वजों, जो अब अपने शरीर के साथ हमारे बीच उपस्थित नहीं हैं, की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं। तर्पण का अर्थ है किसी प्यासे […]

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जज्बात-ए-दिल हैं ऐसे कि रिश्ते कम रखती हूँ

जज्बात-ए-दिल हैं ऐसे कि रिश्ते कम रखती हूँ। अब हर बात में हाँ कहना छोड़ दिया मैंने, अब तो ना कहने का हुनर भी अपने संग रखती हूँ। जज्बात-ए-दिल हैं ऐसे कि रिश्ते कम रखती हूँ। किसी को दर्द देने का इरादा नहीं है मेरा, लेकिन बात सही है, तो कहना भी है जरूरी, ऐसे […]

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सुंदर है, मनोहर है, मीठी है, बहुत ही मनोरम परिचय है इस हिन्दी का

पूछा किसी ने मुझसे, इस अंग्रेजी के जमाने में, क्या महत्व है हिन्दी का….? ज्यादा कुछ तो नहीं दो लाइनें बस कहीं मैंने, महाभारत के युद्ध में जो स्थान है शिखंडी का माँ शब्द को पूरा करने के लिए जो महत्व है एक छोटी सी बिंदी का, ऐसा ही कुछ खास महत्व है भाषाओं में […]

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मेरा, केवल मेरा सूरज

आज फिर आया था वह देखो जा छुप रहा है, झुरमुटों में, कहने पर नहीं सुनता, रोकने पर नहीं रुकता वह कहाँ मानता है एक भी बात बताया था मैंने उसे कल रात ठीक नहीं इस तरह हमारा मिलना मुझसे मिलने के लिए तुम्हारा दिन भर जलना हौले से मुस्कुराया था वह। वही, हाँ वही […]

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अर्धनारीश्वर

ना तू अबला ना तू सबला ना नर है ना तू नारी । तुझ में ताकत पुरुष के जैसी फिर भी तू बेचारी। तू सम्मान की अधिकारी, फिर भी समाज से बाहर कभी कहो अपनी व्यथा भी, क्या है तेरे अंदर। तुझमें पौरुष कूट-कूट के, ममता भी तुझ में न्यारी । फिर क्यों तुझको भावहीन […]

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हर रोज नया इम्तहान है जिन्दगी

परिन्दों सी उड़ान है जिन्दगी, हर रोज नया इम्तहान है जिन्दगी। हर पहलू से इसे पढ़ कर देखो, एक नया आयाम है जिन्दगी। दो कदम चल कर रुक गये क्यों, रोज एक नया मुकाम है जिन्दगी। यह नफरत की आग फैली है क्यों, जब मोहब्बत का नाम है जिन्दगी। मास्क ने छीन ली लबों की […]

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तुम्हें मुझसे प्रेम नहीं है

कैसे मान लूँ मैं, जो तुम कहते हो कि प्रेम नहीं है। मेरा नाम आते ही तुम्हारे होंठों पर मुस्कान का तैर जाना, गैरों की बातों में भी जिक्र मेरा करते हो प्रमाण है इस बात का, और तुम कहते हो कि प्रेम नहीं है। तस्वीर मेरी देखते हो दिन में सौ दफा, यादों को […]

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खुशी मेरी सास की

क्या सुना है, अपनी सास को खुश कर पायी है कोई बहू आखिर इतनी लड़कियाँ देख कर घर में लायी एक बहू। अब इसमें इतनी कमियाँ आखिर कहूँ तो किससे कहूँ मेरी बेटी इतनी गुणी है है इतनी कामकाजी पर बिल्कुल ही कामचोर निकली है मेरी बहू। बिना कोई सिंगार करे ही सोनी दिखती मेरी […]

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जिन्दगी पूछती है सवाल, जवाब ढूँढ रही हूँ मैं

हर शाम पूछती है जिन्दगी कुछ सवाल जिनके जवाब ढूँढ रही हूँ मैं। कुछ काम करने बाकी हैं पर करूँ कब, उन्हें करने का सही वक्त ढूँढ रही हूँ मैं। कुछ किस्से अनसुने-अनकहे करना चाहती हूँ साझा, पर कहूँ किससे ऐसा इन्सान ढूँढ रही हूँ मैं। कुछ पन्ने जिन्दगी के फाड़ देना चाहती हूँ पर […]

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