नारी मन मत तोलिये, उसका नभ विस्तार

Mind and Soul

नारी से घर होत है, नारी से संसार।
नारी बिन नर भी कहाँ, नारी है आधार।।

नारी ही सम्हालती, संस्कृति संस्कार।
इस सृष्टि पर हो सदा , नारी का अधिकार।।

देवी दुर्गा लक्ष्मी, नारी हर अवतार।
पत्नी, बेटी है बनी , माँ बन करती प्यार।।

नारी मन मत तोलिये, उसका नभ विस्तार।
बन शक्ति शिव की करे, नारी ही उपकार।।

ज्योति नारायण

हैदराबाद (तेलंगाना)

(यह इनकी मौलिक रचना है)

 

 

(आवरण चित्र- सत्यम द्विवेदी)

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