स्त्री के बारे में एक कविता

Mind and Soul

बनी रहती है कठपुतली
उसका सब कुछ है
उधार का।।

कहाँ अपने होते हैं
पाली हुई चिड़िया के पंख।
कहाँ होती है उसकी
अपनी कोई सोच।

विद्या भंडारी
कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

(यह इनकी मौलिक रचना है)

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