कंटकों में भी तुम्हारी प्रीत का मधुमास है

मुक्त सारे बंधनों से आज ये आकाश है मिट गये किन्तु परंतु,दृढ़ हुआ विश्वास है चाँद की शीतल निशा में ख्वाब पोसे जायेंगे भोर की शुभ अरुणिमा में आपका आभास है मिट गये किन्तु परंतु, दृढ़ हुआ विश्वास है देह से वैराग्य तक तुमको सदा धारण किया कंटकों में भी तुम्हारी प्रीत का मधुमास है […]

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