डॉ. मनोरमा चंद्रा “रमा” की रचना- मित्रता
मित्र मिलन की भावना, जागे मन में आज। बचपन के दिन याद कर, सुख का हो आगाज।। कदम कदम पर साथ चल, किए नेक सब काम। सदा दोस्त हमदर्द बन, हरते विपत तमाम।। श्रेष्ठ मित्र पहचान कर, करना उससे प्रीत। निश्छलता के भाव से, बन जाना मनमीत।। छोड़ो मत यूँ साथ को, बना रहे ये […]
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