विद्या भंडारी की कविता
कुछ चेहरे लुप्त हुए कुछ चेहरे नये जुड़े जीवन के अध्याय में कई नये बदलाव जुड़े। कुछ की दिनचर्या बदली कुछ बहुत एक्टिव हुए। सोच कुछ की हरी हुई कुछ की सुखी धरा हुई । वक्त के नये मोड़ पर सर्द मौसम हो गया पन्ने कुछ उड़ने लगे उम्र की किताब के। सोचूँ आँख बंद […]
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