जिन्दगी सँवारने का सुनहरा अवसर है ये

Mind and Soul

आज हम सभी इस महामारी के बीच ऐसे परेशान हैं कि क्या करें, क्या ना करें। आज हर व्यक्ति उहापोह की स्थिति में है, रोजगार वाले हों या बेरोजगार, सरकारी नौकरी वाले हों या व्यवसाय करने वाले हों, पुरुष हों या महिला, बड़े हों या बच्चे, सभी अपनी-अपनी समस्याओं से निजात पाना चाहते हैं। लेकिन उससे भी बड़ी विडंबना यह है कि कोई एक दूसरे की समस्याओं को न तो सुनना चाहता है और न ही उसकी बातों को समझना चाहता है। हर व्यक्ति अपनी हताशा, निराशा, परेशानी की गठरी अपने सिर पर रख कर न जाने किस रास्ते पर चलता चला जा रहा है। और इस अंतहीन भागमभाग में न जाने कितने सुनहरे पलों और अपनों के साथ को पीछे छोड़ता जा रहा है।

लेख का शीर्षक देख कर आप सोच रहे होंगे कि आखिर निराशा से भरा यहदौर हमारे लिए सुनहरा अवसर कैसे है? आपका सोचना भी सही है, लेकिन आजकल आपने एक और बात सुनी होगी, आपदा को अवसर में तब्दील करें। जी हाँ, मैं भी तो यही कह रही हूँ, बड़े तो अपनी परेशानियों का सामना कर ही लेंगे और निश्चित तौर पर उनका हल भी ढूँढ लेंगे। असली चिन्ता तो हमारे बच्चों की है, जो बच्चे अपनी एक नियमित दिनचर्या में व्यस्त थे, आज एक साल से घरों में जैसे कैद हो गये हैं। न तो स्कूल, न ही ढंग की पढ़ाई, न बाहर निकल कर खेलना-कूदना, न दोस्तों से मिलना। सब कुछ तो बंद है, खुले आसमान में उड़ने वाले इन नन्हें परिंदों का। तो क्यों न अपने व्यस्त जीवन में से थोड़ा समय हम अपने बच्चों के लिए निकालें, क्योंकि सच में ऐसा समय न आपके पास होगा और न स्कूल खुलने के बाद आपके बच्चों के पास।

तो आइए इस समय सदुपयोग करें, अपने नन्हें-मुन्नों के बाल मन में अच्छे विचारों का रोपण करें। उनमें प्रेम, दया, उत्साह, उमंग, आदर-सम्मान जैसे अच्छे गुणों को जगाएँ, उनकी तोतली बोली को समझने का प्रयास करें, उनकी मासूम सी दुनिया में अपनी भी एक जगह बनायें। किशोरावस्था की ओर बढ़ते हुए अपने बच्चों को सही और गलत का फर्क प्यार से समझायें, किशोर मन में उठते हजारों प्रश्नों को एक माँ और एक दोस्त बन कर सुनें और समझें। उनकी हर परेशानी में हम डट कर उनके साथ खड़े हैं, उनको ऐसा अहसास दिलायें। खुद को फोन और सोशल मीडिया से थोड़ा दूर रख कर अपने बच्चों के पास रहें, दूसरों की पोस्ट लाइक और शेयर करने से अच्छा है कि हम अपने बच्चों के पसंद-नापसंद को जानें, उनकी खुशियाँ और परेशानियाँ शेयर करें।

आपके बच्चे आपके लिए खास हैं, अपनी किशोरावस्था में प्रवेश करते बच्चों के साथ दोस्ती और प्यार भरा रिश्ता पनपने दें, ताकि वे आपसे अपनी हर बात बेझिझक बता सकें। उनसे अपने अनुभवों को साझा करें और उन्हें खुल कर जीने दें, अपनी उमंगों से भरी दुनिया में, जिससे उनको अपने सपनों को साकार करने में मदद मिले। तो क्यों न उन्हें टीवी और मोबाइल की दुनिया से कुछ दिन दूर रख एक अच्छा माहौल दें जिसमें वे बेफिक्र हो कर अपने सपनों में रंग भर सकें। तो है न यह एक सुनहरा अवसर आपके और आपके परिवार के लिए। इस अवसर का भरपूर आनंद ले लीजिए, जब तक स्कूल खुलने के आसार नहीं दिखते।

स्मृति

 

 

(आवरण चित्र- वैष्णवी तिवारी)

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