उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के सुमेरपुर ब्लॉक के ग्राम बाँकी की रहने वाली उमा कांति पाल ‘बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी’ में डायरेक्टर के पद पर काम कर रही हैं। इनके साथ छह और बहनें इस भूमिका में हैं। कंपनी पाँच जनपदों के 601 गाँवों में काम कर रही है। ये लोग हर रोज 70,000 लीटर दूध एकत्र करते हैं। कंपनी के साथ 25,000 बहनें जुड़ी हैं। कंपनी ने इन महिलाओं को 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। कंपनी को तीन करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। हर महीने की तीन तारीख, 13 तारीख और 23 तारीख को इन बहनों को पेमेंट होती है। महोबा और ललितपुर जिलों में एक हजार और बहनों को जोड़ने की इस कंपनी की योजना है।
उमा कांति पाल की कहानी स्वयं सहायता समूह की शक्ति और सफलता बयान करती है। बुंदेलखंड इलाके में ‘बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी’ के जरिये हजारों बहनों की आजीविका मजबूत हुई है।
मणिपुर की जोइसी देवी ने दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया और आज उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। जोइसी ने दुबई में नौकरी हासिल की है। जोइसी चाहती हैं कि उनकी तरह देश की और भी बेटियाँ इन योजनाओं का लाभ उठायें।
मध्य प्रदेश के अनूपपुर की चंपा सिंह बेहद ही गरीब परिवार में पली-बढ़ी हैं, लेकिन इन्होंने अपने जीवन के संघर्षों से हार नहीं मानी और कृषि सखी के रूप में आज हजारों परिवारों को जैविक कृषि के लिए प्रेरित एवं प्रशिक्षित करने में जुटी हैं।
उत्तराखंड के रुद्रपुर जिले की चंद्रमणि दास को दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) का सहयोग मिला जिससे उन्होंने एक बेकरी की स्थापना की। आज इस बेकरी में 35 प्रशिक्षित महिलाएँ काम कर रही हैं। (लेडीज न्यूज टीम, 13 अगस्त 2021)
(आवरण चित्र केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के ट्विटर से साभार)