सैंतीस साल के लंबे इंतजार के बाद आज पूरा हो गया उड़नपरी का अधूरा सपना

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उड़नपरी पीटी उषा (PT Usha) का अधूरा सपना आज पूरा हो गया है। यह सपना साल 1984 में अधूरा रह गया था। तारीख थी आठ अगस्त 1984 और जगह थी अमेरिका का शहर लॉस एंजेल्स, जहाँ उस साल के ओलम्पिक खेल आयोजित हुए थे। चार सौ मीटर बाधा दौड़ में दौड़ते हुए उड़नपरी पीटी उषा महज 1/100 सेकेंड यानि सेकेंड के सौंवे हिस्से से कांस्य पदक चूक गयी थीं। अगर वह जीत जातीं, तो भारत को पहली बार ट्रैक ऐंड फील्ड में पदक मिल जाता। साल 1960 के रोम ओलम्पिक में फ्लाइंग सिक्ख मिल्खा सिंह (Milkha Singh) भी चूक गये थे। इसके 24 साल के बाद पीटी उषा भी चूक गयीं।

उसके बाद से गंगा में जाने कितना पानी बह गया और पीटी उषा का इंतजार लंबा होता गया। ओलम्पिक खेल आयोजित होते, भारत भाग लेता, लेकिन उड़नपरी का सपना बार-बार अधूरा रह जाता। सपना था ट्रैक ऐंड फील्ड में किसी भारतीय को ओलम्पिक पदक हासिल करते देखने का।

लेकिन इस बार पीटी उषा को लग रहा था कि उनका सपना अधूरा नहीं रहेगा। आप चार अगस्त 2021 का उनका ट्वीट देखिए, लिखती हैं, सैंतीस साल पहले आठ अगस्त 1984 को मैं सेकेंड के सौंवे हिस्से से पदक से वंचित रह गयी थी। मुझे लगता है कि मेरे उस अधूरे सपने को मेरे बेटे और भारत के गौरव नीरज चोपड़ा टोकियो ओलम्पिक खेलों में सात अगस्त 2021 को पूरा कर देंगे। उनको मेरा आशीष और शुभकामनाएँ।

पीटी उषा की आशा टूटी नहीं है। नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) को आज टोकियो ओलम्पिक खेलों में भाला फेंक स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक मिला है।

आज उड़नपरी का सपना इतने सालों के इंतजार के बाद सचमुच पूरा हो गया है। (लेडीज न्यूज टीम, 07 अगस्त 2021)

(आवरण चित्र पीटी उषा के ट्विटर खाते से साभार)

 

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