है नहीं आनंद किंचित रात बीती, धैर्य जाये
सुप्त धड़कन, क्षीण तन मन वेदना से कसमसाये है नहीं आनंद किंचित रात बीती, धैर्य जाये भावना का ज्वार फूटे, गीत बन के बह चले भोर में चन्दा चला है सूर्य से मिल के गले इस घड़ी,उनको बुला दो हिय यही संगीत गाये सुप्त धड़कन, क्षीण तन मन वेदना से कसमसाये लाज से आरक्त मुख […]
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