एक नवल दिनमान चाहिए

एक नवल दिनमान चाहिए गुंजित किरणें, गान चाहिए तय कर सकूँ मंजिलें अपनी निर्विरोध अवगान चाहिए मुझे सीढ़ियाँ ऊँची चढ़नी फिर भी आसमान चाहिए पंखों में परवाज का साहस सपनों की वो उड़ान चाहिए रखूँ नींव महल की अपनी लोहे-कंकर ज्ञान चाहिए सुंदर सा घर मेरा सजता साजो व सामान चाहिए तुलसी चौरा हो आंगन […]

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शब्द ही है अकेला, शब्द ही संसार है

शब्द ही निः शब्द है शब्द ही तो बोल है शब्द ही मोतियों की माला शब्द ही मुक्ताहार है शब्द ही तो बनावटी शब्द ही यथार्थ है शब्द ही है अकेला शब्द ही संसार है। शब्द ही तो गीत है शब्द ही तो साज है शब्द ही तो तीर है शब्द ही तलवार है शब्द […]

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आपका ही नाम हर दीवार पर मैंने लिखा

फूल कलियाँ छोड़ कर तलवार पर मैंने लिखा आज अपनी जीत अपनी हार पर मैंने लिखा। आप बस मेरे लब-ओ-रुख़्सार पर लिखते रहे आपके अच्छे बुरे व्यवहार पर मैंने लिखा। देखने आयी थी सागर की हसीं लहरों को मैं दिख गया जब डूबता मझधार पर मैंने लिखा। चार दीवारी में जबसे क़ैद है ये ज़िन्दगी […]

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उम्मीद का मौसम

आज मौसम कुछ उदास है तेरी मेरी बातें कुछ अधूरी हैं बातें जो मन को अच्छी लगें गम की उमस कुछ कम हो। आज मौसम कुछ उदास है चारों तरफ फैली गम की आँधी है किसी को इंतजार अपनों का किसी को बारिश की बूँदों का तलाशता कोई आशा की किरण। आज मौसम कुछ उदास […]

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धरती जैसा धैर्य है, नभ सा है अभिमान

सबला है अबला नहीं, नारी जग की शान। मीरा, राधा, गार्गी, वह रजिया सुल्तान।। नारी के सम्मान में, नहीं सिर्फ जयगान। दोयम दर्जे की नहीं, है इसकी पहचान।। कलम-कटारी-बेलना, है यह स्वर्ण-विहान। जन्म विश्व को दे रही, यह ईश्वर वरदान।। इससे जीवन सुलभ है, यह सुख का है धाम। धरती जैसा धैर्य है, नभ सा […]

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देह के सौजन्य से विरहिन सरीखा रूप पाऊँ

रात्रि की निस्तब्धता में, चाँदनी के द्वार जाऊँ सूर्य के मनुहार में फिर से प्रभाती राग गाऊँ शून्य की मानिंद, जीवन फिर उसी से हार के धमनियों में क्षोभ बहता, चक्षु सावन वारते देह के सौजन्य से विरहिन सरीखा रूप पाऊँ सूर्य के मनुहार में फिर से प्रभाती राग गाऊँ गीत लिखने की तपस्या, फिर […]

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नारी मन मत तोलिये, उसका नभ विस्तार

नारी से घर होत है, नारी से संसार। नारी बिन नर भी कहाँ, नारी है आधार।। नारी ही सम्हालती, संस्कृति संस्कार। इस सृष्टि पर हो सदा , नारी का अधिकार।। देवी दुर्गा लक्ष्मी, नारी हर अवतार। पत्नी, बेटी है बनी , माँ बन करती प्यार।। नारी मन मत तोलिये, उसका नभ विस्तार। बन शक्ति शिव […]

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अस्मिता

कितना सुख था तब रहती थी डरी-डरी, सह लेती थी सब कुछ। किन्तु जब से खोजने लगी हूँ अस्मिता एक ताले की दो चाबियों की तरह पड़ी रहती है मुस्कान दोनों की पाकेट्स में। जरूरत पड़ती है जब कभी खोल लेते हैं ताला अपनी-अपनी चाबी से। विद्या भंडारी कोलकाता (पश्चिम बंगाल) (यह इनकी मौलिक रचना […]

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हर रोज नया इम्तहान है जिन्दगी

परिन्दों सी उड़ान है जिन्दगी, हर रोज नया इम्तहान है जिन्दगी। हर पहलू से इसे पढ़ कर देखो, एक नया आयाम है जिन्दगी। दो कदम चल कर रुक गये क्यों, रोज एक नया मुकाम है जिन्दगी। यह नफरत की आग फैली है क्यों, जब मोहब्बत का नाम है जिन्दगी। मास्क ने छीन ली लबों की […]

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बारिश का डेरा ️

चाँदी का थाल सा चंदा का रूप झूमर हैं खेलते तारे अनूप नीरव नि:शब्द है छाया प्रतिरूप सिमटा अवधूत सा गहरा वो कूप मुग्धा है छवि सी वो शीतल स्वरूप लोकती-विलोकती जलधर बहुरूप पुरातन नित नूतन है जगती प्रारूप प्रारब्ध का दोष क्या समय रहा चुप तिरछी रेखाओं में जीवन की धूप श्रम बिन्दु सींचती […]

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