एक नवल दिनमान चाहिए
एक नवल दिनमान चाहिए गुंजित किरणें, गान चाहिए तय कर सकूँ मंजिलें अपनी निर्विरोध अवगान चाहिए मुझे सीढ़ियाँ ऊँची चढ़नी फिर भी आसमान चाहिए पंखों में परवाज का साहस सपनों की वो उड़ान चाहिए रखूँ नींव महल की अपनी लोहे-कंकर ज्ञान चाहिए सुंदर सा घर मेरा सजता साजो व सामान चाहिए तुलसी चौरा हो आंगन […]
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