नीलिमा मिश्रा की रचना- माटी की व्यथा

मैं तो कच्ची माटी ही थी, तुम्हारे समीप हे मेरे राम, तुमने मुझे अपने रंग में रंग, दिया एक मुझे नया आयाम। ढल गई तुम्हारे साँचे में प्रभु, बन गई मैं तुम्हारी सहगामिनी, मिला तुम्हें चौदह बरस का बनवास, चली संग तुम्हारे बन के अनुगामिनी। दुष्ट रावण के चंगुल से छुड़ाया फिर भी तुम्हारे नैनों […]

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वर्षा रावल की रचना- मिठास मत घोलना

नर्म-नर्म गोले सी पहली बार आँखें खोलीं दुनिया में आगमन अभी ही हुआ था… तुम्हारी नई-नई माँ पीड़ा में भी मुस्कुरा रही थी मिठास से लबरेज़ जो थी… तुमने जैसे ही रोने को मुँह बनाया दो बूँद शहद घुल गया तुम्हारे मुँह में… और इस मिठास को चाटने की कला तुम्हें आ गई… थोड़ी बड़ी […]

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ज्योति नारायण की दो कविताएँ

दीप हमने है जलाया दीप हमने है जलाया ओ सजन तेरे लिए। देहरी अँगना है ‌सजाया ओ सजन तेरे लिए।।२ प्रेम की यह शुभ्र ज्योति हो उजासित पथ तुम्हारा दीपिका की मल्लिका सी भर सके सुख सौख्य सारा। यह हृदय हमने बिछाया ओ सजन तेरे लिए……। स्नेह का दीपक जलाया ओ सजन तेरे लिए।।२ दीप […]

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दीपावली पर ज्योति नारायण की दो रचनाएँ

  एक कविता- लघु दिया सूरज आगे लघु दिया क्या यही अमावस पूर्ण ओम हुई ज्ञान ज्योति की उज्जवल किरणें भर प्रकाश यह व्योम हुईं छुई-मुई नन्हीं सी बाला झूम-झूम कर मौन हुई ना जाने किस प्रीत में पागल लहक-लहक यही होम हुई भर आकूत आवर्त घिरी रही फिर भी प्रखर हो धूम्र हुई श्रम […]

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दियों के संग, दीपावली के रंग

अनंत दियों की बौछार, कई लाल, कई पीले सबका एक ही मकसद, अँधेरे से उजाले की ओर हवा में अजीब सी महक। दीपावली की एक हलचल न्यारी सी घर-घर में एक नया उत्साह हर कोई आप्त जन से मिलने को बेकरार यह पर्व धन दौलत आरोग्य दे, विद्या बुद्धि शक्ति की मंगल कामना आप्तजन परिजनों […]

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मधु सक्सेना की रचना- इंतज़ार है

आया त्यौहार भर गई उमंग प्रकृति ने किया श्रृंगार महकने लगी दिशाएँ फिर भी … इंतज़ार है उस महक का जो महका दे मनुष्य को सदा-सदा के लिए … आ गए सब .. सज गए रिश्ते घर की गोद भर गई स्वाद घुलने लगे गुजिया, पपड़िया के खनकने लगी हँसी . फिर भी .. इंतज़ार […]

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ज्योति नारायण की रचना- बेटियाँ

बेटियाँ दिल के करीब रहती हैं। सुख दु:ख में शरीक रहती हैं। माँ की मूरत में ये ही ढलती हैं। ममता की सूरतों में पलती हैं। प्रसव की पीड़ा जो माँ ने सही वही यह धरती लिये चलती हैं। बीज को कोख में लहू देतीं फिर लगा छातियों से रहती हैं। कभी किसी से न […]

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लड़कियों की लंबी उम्र के लिए व्रत क्यों नहीं

मैं करवा चौथ व्रत के अगले दिन अपनी बेटी के साथ अस्सी घाट घूमने गयी। वहाँ हमने बहुत सारा समय बिताया। वहीं हमारी मुलाकात मिस्टर पीटर से हुई जो हमारे साथ चित्र में दिख रहे हैं। मिस्टर पीटर अमेरिका के निवासी हैं। अचानक ही हमारे सामने आ गये और भारतीय परंपरा अनुसार हाथ जोड़कर हमें […]

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विद्या भंडारी के दो मुक्तक

मुक्तक- एक रूठती धरा को मनाने को, आओ कुछ मनुहार करें, धरती को फूलों से भर दें,आओ पश्चाताप करें। धरती पर है सब कुछ सुंदर, सुंदरता का मोल करें, मानवता को जागृत करके, अपनी धरा गुलजार करें । मुक्तक- दो त्राहि-त्राहि की इस धरती को, नये सूर्य की किरण मिले, नैतिकता की फसलें बोएं, साहस […]

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मधु सक्सेना की कविता- अपने-अपने स्थान

दुख क्या है? अपमान क्या है? दर्द क्या है? कुछ शब्द.. जिन्हें रख दिया था नुकीला बना कर आँच में तपा कर.. खूब गर्म कुछ चुभा, कुछ निशान बने जलने के टीस.. सिसकारी बन उभरी.. बस अब ये करना बटोर लेना सारे शब्द एक थैली में रख मिला देना अच्छी तरह खेलना उनसे हाऊजी की […]

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