खेतों की मेड़ों पर ये चली है, तब कहीं जाके ये माँ सी ढली है
छू लिया है जिसने हिमालय उस पर्वतराज का है ताज हिन्दी। कंठ है, सुर है, है साज हिन्दी, है करोड़ों की आवाज हिन्दी।। खेतों की मेड़ों पर ये चली है तब कहीं जाके ये माँ सी ढली है। इसकी पहचान हर एक डगर है, इसकी पहचान हर एक गली है।। तेलुगू, कन्नड़, तमिल, बांग्ला, मराठी, […]
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