विद्या भंडारी की रचना- समय

वक्त के समंदर में आये कई सिकन्दर और कई डूब गये कोई बचा नहीं पाया। समय के बेलगाम घोड़े को कोई जंजीर से बाँध नहीं पाया। वक्त की आँधियाँ कितना कुछ लील गयीं कोई रोक नहीं पाया। शहंशाह हो या वैज्ञानिक समय के बदलाव के आगे ठहर न पाया। वक्त की पुकार ब्रह्मांड की पुकार […]

Continue Reading