आज उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों की कुल संख्या 12 प्रतिशत से भी कम- राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द

Colours of Life

राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द (President Ram Nath Kovind) ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) में ही सन 1921 में भारत की पहली महिला वकील कोर्नीलिया सोराबजी को इनरोल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था। वह महिला सशक्तीकरण की दिशा में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का भविष्योन्मुखी निर्णय था। उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय एवं इलाहाबाद हाई कोर्ट परिसर में नई सुविधाओं के शिलान्यास समारोह में भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने यह बात कही। 

उन्होंने आगे कहा, पिछले महीने न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी का एक नया इतिहास रचा गया है। मैंने उच्चतम न्यायालय में तीन महिला न्यायाधीशों सहित नौ न्यायाधीशों की नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान की है। उच्चतम न्यायालय में नियुक्त कुल 33 न्यायाधीशों में चार महिला न्यायाधीशों की उपस्थिति न्यायपालिका के इतिहास में आज तक की सर्वाधिक संख्या है। इन नियुक्तियों से भविष्य में एक महिला सीजेआई (CJI) बनने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है।

राष्ट्रपति ने कहा, सामान्यतः महिलाओं में न्याय-प्रकृति का अंश अधिकतम होता है, भले ही इसके कुछ अपवाद भी होते हों। उनमें हर किसी को न्याय देने की प्रवृत्ति, मानसिकता व संस्कार होते हैं। मायका हो, ससुराल हो,पति हो,संतान हो, कामकाजी महिलाएँ सबके बीच संतुलन बनाते हुए भी अपने कार्य क्षेत्र में उत्कृष्टता के उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। सही मायने में न्यायपूर्ण समाज की स्थापना तभी संभव होगी जब अन्य क्षेत्रों सहित देश की न्याय व्यवस्था में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। आज उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों को मिलाकर महिला न्यायाधीशों की कुल संख्या 12 प्रतिशत से भी कम है। यदि हमें अपने संविधान के समावेशी आदर्शों को प्राप्त करना है तो न्याय-पालिका में भी महिलाओं की भूमिका को बढ़ाना ही होगा। मैं आशा करता हूँ कि देश के इस विशालतम उच्च न्यायालय में महिला अधिवक्ताओं, अधिकारियों और न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि होगी।

उन्होंने आगे कहा, सभी को समय से न्याय मिले, न्याय व्यवस्था कम खर्चीली हो, सामान्य आदमी की समझ में आने वाली भाषा में निर्णय देने की व्यवस्था हो, और खासकर महिलाओं तथा कमजोर वर्ग के लोगों को न्यायिक प्रक्रिया में भी न्याय मिले, यह हम सबकी जिम्मेदारी है। यह संभव तभी होगा जब न्याय व्यवस्था से जुड़े सभी हितधार अपनी सोच व कार्य संस्कृति में आवश्यक बदलाव लाएँ और संवेदनशील बनें। (लेडीज न्यूज टीम, 11 सितंबर 2021)

(आवरण चित्र https://presidentofindia.gov.in/ से साभार)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *