लघु कथा- बेड

“अरे रत्नेश, सुन-सुन रुक” सत्यम ने आवाज दी। रत्नेश ने थोड़ी दूर जा कर बाइक रोक कर पीछे देखा, उसका पुराना दोस्त पुकार रहा था। जल्दी में था, फिर भी इतने सालों बाद लंगोटिये यार से कैसे मुँह मोड़ता? “अरे बोल सत्यम, कब आया?”, रत्नेश ने जवाब दिया। चाहते हुए भी दोनों गले नहीं मिल […]

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तेरी मानवता कहाँ खो गई है

अरे ओ मानव! बता जरा तेरी मानवता कहाँ खो गई है? क्या तेरी सारी की सारी संवेदनाएँ कुंभकरण की नींद सो गई हैं? ऑक्सीजन सिलिंडर के दाम तो हैं मात्र कुछ हजार। बेच रहे कुछ लोग लाखों में उनको धिक्कार है धिक्कार।। काटी है कुछ ने खूब चाँदी दीन-दुखियों को सता-सता कर। बेच रहे कुछ […]

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जिन्दगी पूछती है सवाल, जवाब ढूँढ रही हूँ मैं

हर शाम पूछती है जिन्दगी कुछ सवाल जिनके जवाब ढूँढ रही हूँ मैं। कुछ काम करने बाकी हैं पर करूँ कब, उन्हें करने का सही वक्त ढूँढ रही हूँ मैं। कुछ किस्से अनसुने-अनकहे करना चाहती हूँ साझा, पर कहूँ किससे ऐसा इन्सान ढूँढ रही हूँ मैं। कुछ पन्ने जिन्दगी के फाड़ देना चाहती हूँ पर […]

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मौत के भी बाद यह ज़िंदगानी देखिए

वतन पे प्राण वार देते हैं जवान यहाँ इनके लहू में कैसी है रवानी देखिये धरती गगन हर जन मन पर लिखी समर की ये अमर है कहानी देखिए पीछे ना तनिक हटे सीमाओं पे मर मिटे शहादत इनकी है आसमानी देखिए हार मानी मौत ने भी, उनकी दीवानी हुई मौत के भी बाद यह […]

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फिर ठुकरा जाएगा ‘काली है’ कह कर मुझको लड़का

कितना नादाँ है मुझको चन्दा कहता है वो लड़का कितना नादाँ है जुगनू कहता है चन्दा को लड़का आज ‘बुरी बेटी’ बन जाऊँ या फिर ‘धोखेबाज सनम’ एक तरफ़ हैं अम्मा बाबा एक तरफ है वो लड़का प्यार मुहब्बत का क्या है ये हर कोई कर लेता है शादी उससे करना तुमको इज़्ज़त भी दे […]

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करो कर्म ऐसा मिले लक्ष्य प्यारे

हमें काम कोई दिखाना पड़ेगा। सही धर्म को ही निभाना पड़ेगा।। नहीं कल्पना से सधे काम कोई। अकर्मण्य का है कहाँ नाम कोई। करो कर्म ऐसा मिले लक्ष्य प्यारे। न बैठो धरे हाथ में हाथ सारे। हमें पाँव ऐसा उठाना पड़ेगा। सही धर्म को ही निभाना पड़ेगा।। लिए ज्योत्सना चाँद सा रूप पाना। घनी रात […]

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ब्याहता

तन से गृहस्थन, मन से विरागी कभी चाह उसमें नहीं कोई जागी। हर दिन सबेरे दबे पाँव उठना आँखों के सपनों का चूल्हे पे तपना गर्मी या सर्दी ना महसूस करना सब्ज़ी के टुकड़ों सा चुपचाप कटना नहीं उसको फुरसत, रहे भागी-भागी कभी चाह उसमें नहीं कोई जागी। बिस्तर की सिलवट मन पे छपी है […]

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मेरे स्वरों की पहचान रख लो

मेरी रचनाओं का इक नाम रख लो मेरे स्वरों की पहचान रख लो मुझ पर है विश्वास यदि मेरे विश्वास की आन रख लो मेरी आस मेरे विश्वास की हुई हार हरदम स्वयं से जीतने का आज मान रख लो अपने अस्तित्व को बनाए रखने की खातिर घायल हुई कई बार, वो निशान रख लो […]

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इक जुगनू भेजा था हमने आसमान में

सूनापन, तन्हाई और डर देखा हमने माँ के बाद सिसकता वो घर देखा हमने जैसे पत्थर में भी हमने रब देखा है वैसे इंसां में भी पत्थर देखा हमने इक जुगनू भेजा था हमने आसमान में मगर सितारा उसे समझकर देखा हमने गर दो चंदा होते तो फिर कैसा लगता छत पर उनको आज बुलाकर […]

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सबसे बड़ा हथियार

हथियार शब्द ही अपने आप में उतना ताकतवर है जितना कि उसका अर्थ। क्योंकि अगर दो व्यक्ति आपस में लड़ रहे हों और एक अचानक बोल दे कि दूर रहो मुझसे, वरना सोच लो, मेरे पास ‘हथियार’ है। इतना सुनते ही दूसरा व्यक्ति अचानक शान्त और थोड़ा डरा हुआ सा लगने लगता है। धीरे-धीरे उसका […]

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