करो कुछ ऐसा कि फिर से खिल उठें मुरझाए हुए चेहरे

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत, ये पंक्तियाँ हमारे कविश्रेष्ठ द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी ने लिखी हैं, जो आज के माहौल में शत-प्रतिशत चरितार्थ हो रही हैं। मैंने अभी जिस माहौल या दौर का जिक्र किया, वह विशेष रूप से कोरोना महामारी के कारण बना है, जिसने पिछले एक साल से हमें […]

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