आपका ही नाम हर दीवार पर मैंने लिखा

फूल कलियाँ छोड़ कर तलवार पर मैंने लिखा आज अपनी जीत अपनी हार पर मैंने लिखा। आप बस मेरे लब-ओ-रुख़्सार पर लिखते रहे आपके अच्छे बुरे व्यवहार पर मैंने लिखा। देखने आयी थी सागर की हसीं लहरों को मैं दिख गया जब डूबता मझधार पर मैंने लिखा। चार दीवारी में जबसे क़ैद है ये ज़िन्दगी […]

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फिर ठुकरा जाएगा ‘काली है’ कह कर मुझको लड़का

कितना नादाँ है मुझको चन्दा कहता है वो लड़का कितना नादाँ है जुगनू कहता है चन्दा को लड़का आज ‘बुरी बेटी’ बन जाऊँ या फिर ‘धोखेबाज सनम’ एक तरफ़ हैं अम्मा बाबा एक तरफ है वो लड़का प्यार मुहब्बत का क्या है ये हर कोई कर लेता है शादी उससे करना तुमको इज़्ज़त भी दे […]

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इक जुगनू भेजा था हमने आसमान में

सूनापन, तन्हाई और डर देखा हमने माँ के बाद सिसकता वो घर देखा हमने जैसे पत्थर में भी हमने रब देखा है वैसे इंसां में भी पत्थर देखा हमने इक जुगनू भेजा था हमने आसमान में मगर सितारा उसे समझकर देखा हमने गर दो चंदा होते तो फिर कैसा लगता छत पर उनको आज बुलाकर […]

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